RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Feb-2024

अहंकार 

टूट कर बिखर जाना तुम 
मेरे आंचल में आकर मोती 
बन कर नये कल का रंग भर 
जाना किसी की आंखों का 
बन पर्दा तुम उसकी राहों में 
कांटों की बहार भर जाना जब भी 
तुम आना हर व्यक्ति के दिल में 
बसे मैल को सबके सामने रख जाना
ज़बान पर सज़ा ज़हर की लाली 
आंखों पर बांध कामयाबी की पट्टी 
हर किसी के टूट जाने तलक 
उसका साथ तुम दे जाना
आंखों में बंद मोती के गिर जाने पर 
तुम्हारे बने घरौंदों की दीवारों को टूट जाने देना
जब भी किसी का साथ तुम देना बेवफाई की 
राह पर चल अधूरा उसे छोड़ चले जाना 
जब भी आना जाने की राह साथ खोज ले आना 
टूट कर बिखर जाना तुम मेरे आंचल में
सांसों का रंग छोड़ मौत का साया मेरी 
खामोशियों को चीर मेरी चीखों को शब्द दे जाना तुम। 
                            राखी सरोज
                     नई दिल्ली 

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4 Comments

Mohammed urooj khan

24-Feb-2024 12:30 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Shnaya

23-Feb-2024 12:05 AM

Nice

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Gunjan Kamal

22-Feb-2024 11:32 PM

👌🏻👏🏻

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